Mann Ki Baat : जन आंदोलन बना 'मन की बात', समाज के हर मुद्दे को छुआ


'जन आंदोलन बना मन की बात। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने यह बात 'मन की बात' के 100 वें एपिसोड में आज कहीं है. बता दें कि पीएम मोदी मन की बात कार्यक्रम के जरिए भारत के अरबों लोगों से जुड़ते हैं. राजनीति से बिल्कुल हटकर पीएम मोदी का ये कार्यक्रम जनभावनाओं से प्रेरित होता है. अब तक इस कार्यक्रम में देश के कई किस्से साझा किए गए हैं. आम लोगों को देश-दुनिया में पहचान मिली. अंगदान से लेकर स्वच्छ भारत मिशन तक, महिलाओं से लेकर छोटे बच्चों के सश्कितकरण तक की बात देश के कोने-कोने तक पहुंचाई गई. मन की बात के जरिए देश के अधिकांश लोग पीएम मोदी से सीधा संवाद करते है. आइये आज जानते है कि आखिर पीएम मोदी का कार्यक्रम इतना खास क्यों होता है?

मन की बात कार्यक्रम पूरी तरह से राजनीति से हटकर है. इसमें उन मुद्दों पर ही फोकस किया जाता है, जो कि हर दिन देश की आम जनता सामना करती है. इस कार्यक्रम ने देशवासियों को वास्तविक भारत से परिचित कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मास कम्युनिकेशन की एक स्टडी से पता चला कि देश की लगभग 76 फीसदी लोगों का मानना है कि मन की बात के माध्यम से देशवासियों को वास्तविक भारत के बारे में पता चला है. हर स्तर पर मन की बात ने पॉजिटिविटी लाने की कोशिश की.

मन की बात कार्यक्रम की खास बात यह रही कि देश के अरबों नागरिकों से जुड़ने के लिए प्रधानमंत्री मोदी ने सबसे सस्ता माध्यम चुना, जो है रेडियो. संचार के सबसे पुराने माध्यम रेडियो से देश के कोने-कोने से जुड़कर लोगों ने अपने प्रधानमंत्री से बात की और उन्हें सुना. इस कार्यक्रम की खास बात यह भी है कि इसमें वो लोग भी सामने आए जिन्होंने अपने देश के लिए बेहद महत्वपूर्ण योगदान दिए.

मन की बात से पहले इन लोगों को कोई भी नहीं जानता था. मन की बात के जरिए ये लोग देश और दुनिया के सामने आए और पीएम मोदी ने इनके कामों पर प्रकाश डाला और उनके द्वारा किए गए योगदानों को सबके सामने पेश किया. इन लोगों में शामिल थे- पहली महिला लोकोमोटिव ड्राइवर, कोविड फ्रंटलाइन वर्कर और देश की सबसे कम उम्र की अंग दाता अमृतसर की अबाबत कौर संधू. मन की बात के जरिए उन लोगों के बारे में जानकारी मिली, जो देश के दूरदराज इलाके में रह रहे लोगों के जीवन में निस्वार्थ साकारात्मक बदलाव ला रहे है. विभिन्न मुद्दो पर पीएम मोदी को सुनकर लोगों में लोकतांत्रिक प्रक्रिया के भागीदारी बने.

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