डीपीजीआरओ के आदेश के बावजूद डीईओ द्वारा बच्चे का अब तक नहीं कराया गया एडमिशन

 आरटीई के तहत डीपीएस,दुबहल में एडमिशन दिलाने का था आदेश, न लेने पर एफआईआर दर्ज का दिया गया था निर्देश


सूरज कुमार

गया : बिहार सरकार द्वारा दिए गए निर्देश के आलोक में सभी प्राइवेट स्कूलों में आरटीई के तहत बच्चों का एडमिशन लेना अनिवार्य है.इसी आलोक में विभिन्न प्राइवेट स्कूलों द्वारा सरकार के आदेश को दरकिनार करते हुए एडमिशन नहीं लिया जा रहा था, जिसको लेकर कई परिवादी द्वारा जिला लोक शिकायत निवारण कार्यालय में आवेदन दिया गया था, जिसमें आदेश के उपरांत लगभग सभी स्कूलों में एडमिशन ले लिया गया.

दिल्ली पब्लिक स्कूल, दुबहल में आरटीई के तहत बच्चे का नहीं लिया गया एडमिशन, परिवादी ने दिया आवेदन

दिल्ली पब्लिक स्कूल, दुबहल में एक बच्चे का एडमिशन आरटीई के तहत लिस्ट में नाम आने के बाद भी नहीं लिया जा रहा था.जहां एक परिवादी टिंकू कुमार जो घुघड़ीटाड़ के रहने वाले हैं, ने अपने बच्चे का एडमिशन न लिए जाने को लेकर जिला लोक शिकायत निवारण कार्यालय में आवेदन दे कर एडमिशन लेने की गुहार लगाई.जिसकी सुनवाई करते हुए जिला लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी सुबोध कुमार द्वारा जांच कराते हुए स्कूल में काफी अनियमितता, लापरवाही एवं मनमाने ढंग से स्कूल को चलाने के साथ ही भारत सरकार/बिहार सरकार के आदेश को दरकिनार करने पर कड़ी फटकार लगाते हुए एक कड़ा आदेश लोक प्राधिकार सह डीईओ को दिया था, कि अगर स्कूल प्रबंधन द्वारा बच्चे का एडमिशन नहीं लिया जाता है तो स्कूल प्रबंधन पर एफआईआर दर्ज किया जाए.साथ ही क्रमशः वरीय पदाधिकारियों एवं सीबीएसई बोर्ड को इसकी प्रस्वीकृति/मान्यता रद्द हेतु लिखा जाए.उनके द्वारा यह भी आदेश दिया गया था कि अगर बच्चे का एडमिशन नहीं होता है और इस आदेश का अनुपालन नहीं किया जाता है तो माना जाएगा कि इसमें डीईओ की भी मिलीभगत है.

डीईओ के द्वारा दिया गया था 3 दिनों का समय, जो मंगलवार को समाप्त हो चुका है

इस मामले में आदेश होने के उपरांत परिवादी के द्वारा जब आदेश की कॉपी डीईओ कार्यालय में दी गई तो डीईओ द्वारा स्कूल प्रबंधक को मेल के माध्यम से 3 दिनों के अंदर इसका अनुपालन सुनिश्चित कराने का निर्देश दिया गया था,जिसका आखिरी दिन मंगलवार को समाप्त हो गया.अब इस मामले में डीईओ द्वारा क्या कार्रवाई की जाती है देखना लाजमी होगा,परंतु डीईओ द्वारा कोई औचित्यपूर्ण कार्रवाई अब तक इस मामले में नहीं की गई जो समझ से परे है.इतना तो जरूर है कि जिला लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी की टिप्पणी सही साबित होता है, क्योंकि जिला शिक्षा पदाधिकारी सिर्फ छोटे प्राइवेट स्कूलों में अपना पावर जताने में आगे रहते हैं, परंतु बड़े स्कूलों में इनकी एक नहीं चलती.

दोनों अधिकारी के आदेश की कॉपी ले जाकर स्कूल को दिया गया, परंतु नहीं लिया गया कोई संज्ञान

वहीं इस मामले में परिवादी टिंकू कुमार द्वारा बताया गया कि जिला लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी एवं जिला शिक्षा पदाधिकारी दोनों के आदेश की कॉपी ले जाकर स्कूल के काउंटर पर उनके द्वारा दिखाया गया और बताया गया कि इस तरह का आदेश दिया गया है.कृपया उनके बच्चे का एडमिशन ले लें.परंतु स्कूल प्रबंधन द्वारा इसका कोई संज्ञान न लेते हुए एडमिशन के बारे में कुछ नहीं कहा गया.परिवादी ने यह भी बताया कि स्कूल प्रबंधन द्वारा कह दिया गया कि इस तरह का आदेश हम लोग नहीं मानते हैं.

प्रमंडलीय आयुक्त के यहां डीपीजीआरओ के आदेश के इंप्लीमेंट हेतु दिया गया आवेदन

वहीं इस मामले में परिवादी द्वारा बताया गया कि अंत में थक-हार कर मेरे द्वारा इस आदेश की कॉपी एवं एक आवेदन लिखकर मगध प्रमंडल आयुक्त सह प्रथम अपीलीय प्राधिकार के यहां आवेदन मंगलवार को दिया गया जिसकी सुनवाई 10 से 12 दिनों बाद होनी है.उन्होंने बताया कि अब तो आयुक्त महोदय के यहां से ही मेरे बच्चे का एडमिशन कराने को लेकर आखिरी उम्मीद टिकी है.

कहते हैं डीईओ

इस संबंध में उन्होंने बताया कि स्कूल प्रबंधन को डीपीजीआरओ के आदेश का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए भेजा गया है, जो कि मंगलवार को समाप्त हो गई है, आगे जो भी कार्रवाई होगी, की जाएगी.बुधवार को इस मामले को देखते हैं.

राजदेव राम, जिला शिक्षा पदाधिकारी, गया

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