ममता ने पीएम मोदी को चिट्ठी लिख मुख्य सचिव को दिल्ली भेजने से किया इन्कार, आदेश पर पुनर्विचार करने को कहा

बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राज्य के मुख्य सचिव अलापन बंद्योपाध्याय को कार्यमुक्त करने व दिल्ली भेजने से इन्कार कर दिया है। ममता ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस बाबत पत्र लिखकर साफ कहा है कि बंगाल सरकार ऐसे मुश्किल दौर में अपने मुख्य सचिव को कार्यमुक्त नहीं कर सकती है। बता दें कि केंद्र ने 28 मई को राज्य सरकार को पत्र लिखकर मुख्य सचिव अलापन बंद्योपाध्याय को कार्यमुक्त करने का अनुरोध किया था। साथ ही अलापन को 31 मई की सुबह 10 बजे तक दिल्ली में कार्मिक मंत्रालय में रिपोर्ट करने को कहा गया था।

ममता ने पीएम को लिखे पत्र में कहा, 'बंगाल सरकार ऐसी मुश्किल घड़ी में अपने मुख्य सचिव को रिलीव नहीं कर सकती और न ही ऐसा कर रही है।' ममता ने पीएम से केंद्र के इस फैसले को वापस लेने, पुनर्विचार करने और आदेश को तत्काल रद करने का अनुरोध किया है।इधर, सूत्रों के अनुसार बंगाल सरकार उन्हें रिलीव नहीं कर रही है। बंद्योपाध्याय दिल्ली नहीं जा रहे हैं। वह सोमवार को राज्य सचिवालय नवान्न में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के नेतृत्व होने वाली बैठक में हिस्सा लेंगे। बैठक में यास चक्रवात और कोरोना महामारी से जुड़े मुद्दों पर चर्चा होने की संभावना है। बैठक के राज्य के विभिन्न विभागों के सचिव भी शामिल होंगे।

24 मई को बढ़ाया गया था बंदोपाध्याय का कार्यकाल

गौरतलब है कि केंद्र ने बंद्योपाध्याय को दिल्ली बुलाने का आदेश चक्रवात यास पर पीएम मोदी के साथ मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की बैठक में देर से पहुंचने के कुछ घंटों के बाद दिया था। 31 मई को ही बंद्योपाध्याय मुख्य सचिव पद से रिटायर्ड हो रहे थे लेकिन राज्य में कोविड-19 महामारी से निपटने में मदद के लिए राज्य सरकार के अनुरोध पर 24 मई को बंद्योपाध्याय का कार्यकाल तीन महीने के लिए बढ़ाने का आदेश जारी किया गया था। इस बीच केंद्र ने उन्हें दिल्ली बुला लिया।

कानून जानकारों ने जताई थी आशंका

इधर, कानून के जानकारों ने आशंका जताई थी कि केंद्र के लिए बंगाल के मुख्य सचिव को सेवानिवृत्त होने के दिन दिल्ली बुलाने के आदेश का पालन मुश्किल हो सकता है। जानकारों का कहना था कि राज्य सरकार अपने अधिकारों का प्रयोग करते हुए उन्हें कार्यमुक्त करने से इनकार कर सकती है।

क्या कहता है नियम

अखिल भारतीय सेवा के अधिकरियों की प्रतिनियुक्ति के नियम 6 (1) के तहत किसी राज्य के काडर के अधिकारी की प्रतिनियुक्ति केंद्र या अन्य राज्य या सार्वजनिक उपक्रम में संबंधित राज्य की सहमति से की जा सकती है। भारतीय प्रशासनिक सेना (काडर) नियम-1954 के तहत, कोई असहमति होने पर मामले पर निर्णय केंद्र सरकार और राज्य सरकार कर सकती है या संबंधित राज्य सरकार केंद्र सरकार के फैसले को प्रभावी कर सकती है।


Post a Comment

Previous Post Next Post