आने वाला सप्‍ताह है बड़ा खास, भारत आने वाले है रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव, जानें-खासियत

 


बीते माह अमेरिका के रक्षा मंत्री लॉयड आस्टिन की भारत यात्रा के बाद अब अगले सप्‍ताह रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव अपनी दो दिवसीय यात्रा पर भारत आ रहे हैं। उनका ये दौरा इसलिए काफी खास माना जा रहा है। उनका ये दौरा 5-6 अप्रैल के बीच हो रहा है। इस दौरान वो अपने समकक्ष एस जयशंकर के अलावा पीएम नरेंद्र मोदी समेत अन्‍य नेताओं से भी वार्ता करेंगे। उनकी इस यात्रा का सबसे अहम मुद्दा भारत और रूस के बीच हुआ एस-400 मिसाइल डिफेंस सिस्‍टम है। दरअसल, जब लॉयड भारत आए थे तब उन्‍होंने साफतौर पर कहा था कि अमेरिका नहीं चाहता है कि भारत समेत कोई भी देश रूस से मिसाइल डिफेंस सिस्‍टम को लेकर कोई समझौता करे।

उन्होंने ये भी साफ कर दिया था कि भारत पर फिलहाल प्रतिबंध नहीं लगाए जा सकते हैं क्‍योंकि भारत को इस सिस्‍टम की सप्‍लाई नहीं हुई है। आपको बता दें कि अमेरिका ने इस सिस्‍टम की खरीद की वजह से तुर्की पर प्रतिबंध लगाए हुए हैं। इसका असर तुर्की और पाकिस्‍तान के बीच हुए हेलीकॉप्‍टर सौदे पर भी साफतौर पर देखा गया है। एस-400 मिसाइल डिफेंस सिस्‍टम के सौदे की वजह से अमेरिका ने तुर्की को अटैक हेलीकॉप्‍टर पाकिस्‍तान को बेचने के लिए ये कहते हुए लाइसेंस नहीं दिया है क्‍योंकि इसमें अमेरिका का इंजन और कलपुर्जे लगे हैं।

लॉयड के दौरे से करीब 25 दिन बाद हो रही सर्गेई की यात्रा इस लिहाज से भी बेहद खास है क्‍योंकि बीते कुछ समय से अमेरिका और रूस के बीच में रिश्‍ते काफी तनावपूर्ण हो गए हैं। अमेरिका लगातार रूस पर शिकंजा कस रहा है। इस वजह से रूस को अपने खेमे में बड़े देशों के अलावा उन देशों की तलाश है जो उसके मजबूत और पुराने साथी रहे हैं। भारत वर्षों से रूस का रणनीतिक और भरोसेमंद साझेदार रहा है। हाल के कुछ समय में रूस को लेकर अमेरिका के साथ-साथ यूरोपीय देशों की सोच में भी बदलाव आया है और वो भी रूस के खिलाफ हुए हैं। यूरोपीय संघ भी लगातार रूस पर प्रतिबंध लगाने पर विचार कर रहा है। ये हाल तब है जब रूस यूरोपीय संघ का सबसे बड़ा व्‍यापारिक देश है। रूस से कई सारी चीजें यूरोपीय संघ को बेची जाती हैं।

जानकार भी मानते हैं कि अमेरिका और रूस के बीच में एक बार फिर से तनाव बढ़ने की वजह से शीतयुद्ध के हालात फिर से बनते दिखाई दे रहे हैं। जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर अर्चना उपाध्‍याय का तो यहां तक मानना है कि दोनों देश फिर से एक दूसरे के सबसे बड़े दुश्‍मन बनने की तरफ आगे बढ़ रहे हैं। ऐसे में रूस भारत को अपनी तरफ बनाए रखने की पूरी कोशिश कर रहा है। हालांकि भारत ने पहले ही ये बात साफ कर दी है कि वो एस-400 मिसाइल डिफेंस सिस्‍टम को लेकर पीछे हटने वाला नहीं है, क्‍योंकि ये भारत की सुरक्षा से जुड़ा मुद्दा है। अमेरिकी रक्षा मंत्री की यात्रा के बाद इस सिस्‍टम को लेकर भारत में कुछ उहापोह की स्थिति दिखाई दे रही है जो सर्गेई की यात्रा के बाद खत्‍म हो जाएगी।

आपको बता दें कि रूस की एस-400 मिसाइल डिफेंस सिस्‍टम की ही तरह अमेरिका की टर्मिनल हाई एल्‍टीट्यूट एरिया डिफेंस यानी थाड Terminal High-Altitude Area Defense(THAAD) है। जानकारों की राय में अमेरिका की मंशा रूस के साथ किए गए सौदे को रद कर अपनी थाड का सौदा करना है। इसलिए अमेरिका न सिर्फ तुर्की पर रूस के साथ हुए सौदे को रद करने को लेकर दबाव बना रहा है बल्कि भारत से भी उसकी यही मंशा है।


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