कोरोना वायरस संक्रमण की जांच के सबसे विश्वसनीय तरीकों में से एक आरटी-पीसीआर जांच का अधिकतम शुल्क चार सौ रुपये तय करने के लिए सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाई गई है. इस बाबत वकील अजय अग्रवाल की ओर से दायर जनहित याचिका में कहा गया है कि आरटी-पीसीआर जांच के लिए अधिकतम 400 रुपये की दर तय करने के साथ ही इस अभियान में एकरूपता लाने के ठोस उपाय किए जाएं.
इस याचिका में अनुरोध किया गया है कि कोर्ट केंद्र और राज्य सरकारों को यह निर्देश दे कि आरटी-पीसीआर टेस्ट के लिये देश के अलग अलग हिस्सों में नौ सौ रुपये से लेकर 2800 रुपये तक वसूलने की बजाय देशभर में समान रूप से अधिकतम 400 रुपये की दर निर्धारित की जाये.
बीजेपी नेता और वकील अजय अग्रवाल ने अपनी जनहित याचिका में दावा किया है कि इस टेस्ट के नाम पर देशभर में पैथॉलोजी प्रयोगशालाएं मनमाना शुल्क वसूल कर करोड़ों रुपये कमा रही हैं. आरटी-पीसीआर टेस्ट करने वाले लैब बहुत ही ज्यादा लाभ कमा रहे हैं.
आंध्र प्रदेश में इस टेस्ट की लागत और लाभ के बीच का अनुपात 1400 फीसदी है जबकि दिल्ली में यह 1200 प्रतिशत. याचिका में दावा किया गया है कि आरटी-पीसीआर किट भारतीय बाजार में 200 रुपये से कम में उपलब्ध है. आरटी-पीसीआर टेस्ट के लिए इस्तेमाल होने वाली मशीनें पहले से ही प्रयोगशालाओं के पास हैं जिन पर बड़ी संख्या में यह जांच की जा रही है. इसके अलावा जांच पर कोई अतिरिक्त खर्च भी नहीं आता है.
अग्रवाल ने याचिका में कहा है कि यह देश की 135 करोड़ आबादी से जुड़ा मसला है. हर नागरिक कोरोना वायरस के लगातार बढ़ते संक्रमण को लेकर चिंतित है. इसीलिए वो टेस्ट कराने की जद्दोजहद में लगा है. यही वज़ह है कि परेशान और घबराए लोगों को आरटी-पीसीआर टेस्ट के लिये इन प्रयोगशालाओं को मनमानी कीमत देनी पड़ रही है.
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