नोएडा में बनेगा देश का पहला एयरोट्रोपोलिस, बदलेगी इलाके की तस्वीर?


नोएडा में जेवर एयरपोर्ट का प्रोजेक्ट का कार्य तेजी से चल रहा है, एयरपोर्ट के बनने के साथ ही गौतमबुद्धनगर के खाते में भी उपलब्धियों में ये एयरपोर्ट एक बड़ा नाम शामिल हो गया है. नोएडा के जेवर में बनने वाले अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के बाद गौतमबुद्धनगर देश का पहला एयरोट्रोपोलिस बन जाएगा. इस एयरपोर्ट का काम तेजी से हो, इसके लिए उत्तर प्रदेश सरकार और यमुना प्राधिकरण दोनों ने ही तेजी से काम करना शुरू कर दिया है.

गौतमबुद्धनगर देश का पहला एयरोट्रोपोलिस बन जाएगा, जो मुख्य रूप से MSME और कृषि क्षेत्रों में आर्थिक गतिविधियों की शुरुआत कर रहा है. इस एयरपोर्ट के आसपास के जिलों में छोटे-बड़े उद्योगों के साथ ही कृषि के क्षेत्र से जुड़ी गतिविधियों को भी बढ़ावा मिलेगा. इस प्रोजेक्ट के चलते एमएसएमई और निर्यात प्रोत्साहन विभाग के अपर मुख्य सचिव नवनीत सहगल और यमुना प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालक अधिकारी डॉ. अरुण वीर सिंह की बैठक हुई थी, जहां पर एयरपोर्ट में चल रहे काम की समीक्षा की गई.

नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड (एनआईएएल) और ज्यूरिख एयरपोर्ट इंटरनेशनल के बीच एक समझौते पर हस्ताक्षर करने से स्विस डेवलपर को दिल्ली के निकटवर्ती जेवर हवाई अड्डे की साइट पर काम शुरू करने की अनुमति मिल जाएगी. ग्रीनफील्ड हवाई अड्डे के लिए 29,560 करोड़ रुपये की लागत के लिए एक 'रियायत समझौता', यूपी सरकार की एजेंसी और यमुना इंटरनेशनल एयरपोर्ट प्राइवेट लिमिटेड के बीच भी जोड़ा गया था, परियोजना के लिए ज्यूरिख हवाई अड्डे से एक विशेष प्रयोजन वाहन मंगाई गई थी, सहगल ने कहा कि परियोजना का पहला चरण 1,334 हेक्टेयर क्षेत्र में फैला होगा और 4,588 करोड़ रुपये खर्च होने की उम्मीद है.

नवनीत सहगल का कहना है कि जेवर एयरपोर्ट जो करीब 5,000 एकड़ में फैला हुआ है, उसका काम काफी तेजी से चल रहा है. उन्होंने यह भी बताया कि यह एयरपोर्ट ना सिर्फ देश का बल्कि एशिया का भी सबसे बड़ा हवाई अड्डा होगा, जिसमें कुल 6 रनवे होंगे. यह एयरपोर्ट गौतमबुद्धनगर को एयरोट्रोपोलिस का रूप देगा.

इस एयरपोर्ट के बनने से जिले व्यवसायिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा ही साथ ही स्थानीय लोगों के अलावा बाहरी जिले के लोगों के लिए भी रोजगार के अवसर ज्यादा बढ़ जाएंगे. एनआईएएल के मुख्य कार्यपालक अधिकारी डॉ. अरुण वीर सिंह ने बताया कि इस एयरपोर्ट का काम साल 2021 में शुरू हो जाएगा और जिसे पूरा करने का लक्ष्य साल 2024 तक का है, उन्होंने बताया कि इसका काम पूरा होने पर सालाना तकरीबन 1.2 से 1.6 करोड़ यात्रियों को उड्डयन सुविधाएं मिलेंगी.

एयरोट्रोपोलिस एक महानगरीय उपसमूह होता है, जिसका बुनियादी ढांचा, भूमि उपयोग और अर्थव्यवस्था एक हवाई अड्डे पर केंद्रित होती है. यह शब्द एयरो और मेट्रोपोलिस से होकर बना है जो उड्डयन और महानगर शब्दों को एक साथ जोड़ता है. एयरोट्रोपोलिस शब्द का सबसे पहले इस्तेमाल न्यूयॉर्क के वाणिज्यिक कलाकार निकोलस डेसेंटिस ने किया था. उस शहर की ऊंची आसमान को छूने वाली इमारतों के साथ ही हवाई अड्डे का चित्र नवंबर 1939 के लोकप्रिय विज्ञान के अंक में प्रस्तुत किया गया था.

जेवर एयरपोर्ट में जमीन देने वाले किसानों को मिलेगा यमुना अथॉरिटी की औद्योगिक, व्यवसायिक और आवासीय योजनाओं में क्रमशः 10%,10% व 17.5% रिज़र्वेशन मिलेगा. जेवर के विधायक धीरेंद्र सिंह ने इस बाबत शासन को प्रस्ताव भेजा है. जल्द ही प्राधिकरण की बोर्ड मीटिंग में प्रस्ताव पर मुहर लग सकती है. पूर्व में केवल आवासीय योजना में ही किसानों को लाभ मिलता था.

जेवर के विधायक धीरेंद्र सिंह ने बताया कि किसानों की अजीविका का एकमात्र साधन कृषि है जो कि अथॉरिटी अधिग्रहण कर रहा है. ऐसे में किसानों को जेवर इंटरनेशनल एयरपोर्ट का अधिक से अधिक लाभ मिले इसके लिए शासन को प्रस्ताव भेजा है. हाल ही में धीरेंद्र सिंह ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात की थी और उनको किसानों के हित संबंधी समस्याओं से अवगत कराया था.

एयरपोर्ट के लिए जिन किसानों की जमीन अधिग्रहण की गई थी, उन्हें उनकी जमीन का मुआवजा मिलना शुरू हो गया है. जेवर में एयरपोर्ट के लिए 6 गांवों के 5926 किसानों की जमीन का अधिग्रहण किया गया है. इन गांवों में रन्हेरा, रोही, पारोही, बनवारीवास, किशोरपुर, दयानतपुर गांव शामिल है. जेवर में इंटरनेशनल एयरपोर्ट को पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी मॉडल) के तहत बनाया जा रहा है. इस प्रोजेक्ट को 2022 तक पूरा करने का लक्ष्य है.

इस एयरपोर्ट से उड़ान सेवा 2024 में शुरू करने का लक्ष्य है. गौरतलब है कि करीब 1,334 हेक्टेयर में बनाए जाने वाले इस हवाईअड्डे पर करीब 29,560 करोड़ रुपये की लागत आएगी. जेवर एयरपोर्ट का लाभ अधिक से अधिक लोगों को मिल सके, इसके लिए भी तैयारी चल रही है. जेवर एयरपोर्ट को दिल्ली और पश्चिम उत्तर प्रदेश के कई जिलों को जोड़ने के लिए मल्टी मॉडल ट्रांसपोर्ट का अध्ययन चल रहा है. इसके तहत सड़क मार्ग के साथ-साथ रेपिड ट्रेन समेत विभिन्न माध्यमों से कनेक्टिविटी शामिल है.


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