बिहार में बिहार पृथ्वी दिवस के अवसर पर रविवार को 'जल-जीवन-हरियाली अभियान' के तहत धरती को बचाने के संकल्प के तहत पौधारोपण का अभियान चलाया जा रहा है। इसमें सरकारी गैर सरकारी कर्मियों के अलावा अर्धसैनिक बल भी शामिल हैं। राज्य में कोरोना संक्रमण व बाढ़ के संकट के कारण कार्यक्रम विस्तृत रूप से आयोजित नहीं किया जा रहा है। साथ ही इसमें स्कूलों और स्कूली बच्चों को भी शामिल नहीं किया जा रहा है। राज्य भर में 2.51 करोड़ पौधे लगाने के लक्ष्य को लेकर पंचायत से लेकर जिला मुख्यालयों तक में पौधारोपण किया जा रहा है, जिसके लिए पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग ने पौधे उपलब्ध करा दिए हैं।
कार्यक्रम का उद्देश्य राज्य का हरित आवरण बढ़ाना
इस कार्यक्रम का उद्देश्य राज्य का हरित आवरण बढ़ाना है। इसे वर्तमान 15 फीसद से बढ़ाकर 17 फीसद करना है। पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग भूजल में वृद्धि के लिए करीब 38 हजार हेक्टेयर भूमि में चेक डैम व तालाब आदि बनाकर जल संरक्षण की भी व्यवस्था करेंगे।
30 जुलाई से लगातार अभियान चला कर पौधारोपण
ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार ने बताया कि पृथ्वी दिवस को लेकर मनरेगा के तहत बीते 30 जुलाई से लगातार अभियान चला कर पौधारोपण किया जा रहा है। ग्रामीण विकास विभाग की रिपोर्ट के अनुसार शनिवार तक 9381337 पौधे लगाए जा चुके थे। इसके एक दिन पहले शुक्रवार को भी 8524178 पौधे लगाए गए थे।
कई जिलों में लगाए गए लक्ष्य से अधिक पौधे
मंत्री ने कहा कि कई जिलों में लक्ष्य से अधिक पौधे लगाए गए हैं। रोहतास में लक्ष्य से 36 फीसद, कैमूर में 20 फीसद, सहरसा में 8 फीसद, शेखपुरा में 7 फीसद, अरवल व भागलपुर में 5 फीसद, अररिया में 4 फीसद, नवादा और किशनगंज में 1 फीसद अधिक उपलब्धि हासिल की गई है। जबकि, सीवान, वैशाली व गया में भी लक्ष्य पूरा की लिया गया है। मंत्री ने बताया कि बाढ़ग्रस्त जिलों में उपलब्धि कम है, जहां बाढ़ के बाद तेजी से पौधारोपण कराया जाएगा।
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