कोरोना वायरस पर क्या कहना है WHO की चीफ साइंटिस्ट सौम्या स्वामीनाथन का


भारत में भी कोरोना वायरस का खतरा बढ़ गया है. दिल्ली, तेलंगाना के बाद जयपुर में भी एक मरीज का पता चला है. इसे देखते हुए स्वास्थ्य मंत्रालय ने मंगलवार को नई ट्रैवल एडवाइजरी जारी की है. सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने स्वास्थ्य मंत्रालय की एडवाइजरी का हवाला देते हुए कहा है कि इटली, ईरान, दक्षिण कोरिया, जापान के नागरिकों को तीन मार्च या उसके बाद जारी किए गए सभी नियमित वीजा या ई-वीजा को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है. दूसरी ओर चर्चा यह शुरू हो गई है कि इस जानलेवा वायरस का कोई इलाज है या नहीं. अगर इलाज है तो क्या है और इसका वैक्सीन कितने दिनों में सामने आएगा. इस बारे में WHO की चीफ साइंटिस्ट सौम्या स्वामीनाथन ने 'आजतक' से खास बातचीत की और कई पहलुओं पर प्रकाश डाला.

सभी यात्रियों की स्क्रीनिंग

इस वायरस के खिलाफ भारत में कितनी तेजी से काम हो रहा है, इस सवाल पर WHO की चीफ साइंटिस्ट सौम्या स्वामीनाथन ने कहा, भारत ने शुरू में काफी तेजी से काम किया है. चीन से जितने भी छात्र आए, एयरपोर्ट पर उनकी स्क्रीनिंग की गई. कई लोगों को क्वैरनटीन में रखा गया. उनमें से कुछ मरीज मिले भी जिनमें तीन केरल से थे और वे अब ठीक हो गए. लेकिन अब ये आपदा दूसरे फेज में चली गई है. शुरू में सारे मामले चीन के वुहान से आ रहे थे, अब स्थिति यह है कि यह वायरस फैल गया है और 75 देशों में इसके मामले सामने आए हैं. इसलिए हमें रणनीति बदलनी पड़ेगी. हमलोग जो एंटी स्क्रीनिंग कर रहे हैं, उसे सिर्फ उन देशों में ही नहीं किया जाना चाहिए जहां हमें मालूम है कि वहां यह बीमारी है. अभी आने वाले सभी यात्रियों की स्क्रीनिंग की जानी चाहिए. उनसे पूछना चाहिए कि कहां-कहां से वे लोग यात्रा करके आ रहे हैं. भारत के अंदर निगरानी सिस्टम को बढ़ाना चाहिए. भारत के अंदर हमारे जो सर्विलांस नेटवर्क बने हुए हैं, उनका भी इस्तेमाल किया जाना चाहिए. कोई भी संदिग्ध केस दिखे तो वहां जाकर जांच करनी चाहिए.

कोरोना फैमिली में 6 वायरस

कोरोना वायरस किस तरह के तापमान में पनपता है? इसके जवाब में स्वामीनाथन ने कहा कि इस बारे में अभी कुछ स्पष्ट नहीं है लेकिन इस पर रिसर्च चल रही है. सिर्फ दो महीने पहले ही दुनिया को इस वायरस के बारे में पता चला है. कोरोना वायरस फैमिली में 6 ऐसे वायरस हैं जो इंसानों को संक्रमित करते हैं. इनमें 4 से साधारण सर्दी और खांसी होती है जबकि बाकी 2 से गंभीर बीमारी होती है. सार्स और मर्स की बीमारी वाले ये वायरस हैं. अभी कहना सही नहीं है कि गरम और आर्द्र वातावरण में यह वायरस नहीं पनपेगा. हमें यह मानकर तैयारी करनी चाहिए कि यह वायरस आगे और बढ़ेगा. अगर यह पता चलता है कि यह वायरस गर्मी में नहीं फैलता है तो हमारे लिए यह बोनस होगा लेकिन हमें यह मानकर नहीं चलना चाहिए कि गर्मी में वह वायरस ठीक हो जाएगा.

मेडिकल ट्रायल जारी है

इस जानलेवा वायरस का क्या इलाज है? इस पर सौम्या स्वामीनाथन ने कहा, लोगों को हमें यह समझाना चाहिए कि वे घबराएं नहीं. नया वायरस है इसलिए लोग अभी घबरा रहे हैं. यह कॉमन कोल्ड की तरह ही है जिसमें सर्दी और जुकाम होता है. 85 फीसदी लोगों को जुकाम होता है लेकिन पता भी नहीं चलता. अभी इस बीमारी का डायग्नोसिस चल रहा है और जहां तक इलाज का सवाल है तो कुछ मेडिकल ट्रायल चल रहे हैं. एंटी वायरल मेडिसिन के भी ट्रायल चल रहे हैं लेकिन जब तक क्लिनिकली ट्रायल नहीं हो जाता तब तक पक्के तौर पर कुछ नहीं कह सकते. वैक्सिन में अभी और वक्त लगेगा. इंसानों के वैक्सीन में डेढ़ से दो साल का वक्त लगेगा. हालांकि इलाज के बारे में एक-दो महीने में पता लगने लगेगा. अभी कोई खास इलाज नहीं है लेकिन सपोर्टिव ट्रीटमेंट है. ज्यादातर लोगों के लिए इलाज की जरूरत नहीं पड़ेगी क्योंकि पैरासिटामोल जैसी दवा से काम चल जाएगा. जिन्हें न्यूमोनिया हो जाए, उनका इलाज वैसे ही होना चाहिए जैसा आईसीयू में किया जाता है.

ड्रॉपलेट इनफेक्शन से फैलता है वायरस

क्या लोगों के डायरेक्ट कॉन्टेक्ट से यह वायरस फैल रहा है? इसके जवाब में सौम्या स्वामिनाथन ने कहा, ड्रॉपलेट इनफेक्शन (खांसी या छींक से) से यह वायरस फैल रहा है. सतह पर इसके वायरस हो सकते हैं इसलिए हमें अल्कोहल रब या साबुन से हाथ धोना चाहिए. हाथ से मुंह और नाक छूने में थोड़ा कंट्रोल करना चाहिए क्योंकि यह वायरस हाथ से ज्यादा फैलता है. संक्रमित व्यक्ति के काफी करीब (3-4 फुट के अंदर) होते हैं तो यह वायरस फैलता है. हवा से फैलने वाला (एयरबोर्न) यह इनफेक्शन नहीं है जैसे कि हम खांस रहे हैं तो मोहल्ले में यह बीमारी फैल जाएगी, बल्कि संपर्क में आने से यह वायरस फैलता है.

Previous Post Next Post