प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा फरवरी, 2016 में शुरू की गई फसल बीमा स्कीम (PMFBY) में बड़े बदलावों को मंजूरी मिली है. केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने बताया कि PMFBY स्कीम के बारे में कुछ शिकायतें मिली थीं. इस स्कीम की खामियों को दुरुस्त कर, अब किसानों के लिए स्वैच्छिक बना दिया गया है.
इसका मतलब ये हुआ कि अब योजना का लाभ लेने वाले किसान अपनी मर्जी से बीमा ले सकेंगे. अब तक किसानों के लिए बीमा को अनिवार्य रखा गया था. बहरहाल, सरकार के इस फैसले के बाद देश के लाखों किसानों को राहत मिलने की उम्मीद है.
क्या खास है योजना में ?
प्रधानमंत्री फसल बीमा स्कीम का मकसद किसी प्राकृतिक आपदा की स्थिति में किसानों को फसल के नुकसान की भरपाई करना है. यह स्कीम जलवायु परिवर्तन और अन्य जोखिम से खेती को नुकसान से बचाने का एक बड़ा माध्यम है. स्कीम के तहत कर्ज लेकर खेती करने वाले किसान को कम दर पर बीमा कवर दिया जाता है. जिन किसानों ने खेती के लिए ऋण नहीं लिया है वे भी इसका लाभ ले सकते हैं.
58 फीसदी किसान लोन लेने वाले
यह स्कीम बुवाई के पहले व फसल की कटाई तक की अवधि के लिए व्यापक रूप से फसल बीमा देती है. यह स्कीम गैर रोकथाम वाले प्राकृतिक जोखिमों के लिए बेहद कम प्रीमियम में (खरीफ फसलों के लिए 2 फीसदी व रबी फसलों के लिए 1.5 फीसदी व बागवानी और कॉमर्शियल फसलों के लिए 5 फीसदी की दर से) व्यापक फसल बीमा प्रदान करती है. मौजूदा समय में, कुल किसानों में से 58 फीसदी किसान लोन लेने वाले हैं.
वहीं फसल बीमा स्कीम की उपलब्धियों पर प्रकाश डालते हुए केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि बीमा कार्यक्रम में 30 फीसदी खेती योग्य क्षेत्र को शामिल किया गया है. तोमर ने आगे कहा कि 60,000 करोड़ रुपये के बीमा दावे को स्वीकृति दे दी गई है, जबकि 13,000 करोड़ रुपये का प्रीमियम एकत्र किया गया है.