बिहार चुनाव: लालू यादव ने दिया नारा- दो हजार बीस, हटाओ नीतीश


बिहार में इस साल विधानसभा चुनाव होने वालाहै. फिलहाल यहां एनडीए की सरकार है जिसमें भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) के साथ लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) गठबंधन सहयोगी दल हैं. राष्ट्रीय जनता दल यहां मुख्य विपक्षी पार्टी है. चुनाव से पहले आरजेडी अध्यक्ष लालू यादव ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर हमला बोला है और एक ट्वीट कर नारा दिया है-दो हजार बीस, हटाओ नीतीश.

बिहार में आरजेडी और कांग्रेस का गठबंधन है. अगला चुनाव भी दोनों पार्टियां एक साथ लड़ सकती हैं. ये संभावना इसलिए भी मजबूत दिखाई दे रही है क्योंकि झारखंड में दोनों दल साथ थे और नतीजा भी काफी अच्छा सामने आया. बिहार चुनाव से पहले इन दोनों दलों ने एक सुर में जेडीयू पर निशाना साधना शुरू कर दिया है.

कांग्रेस के रणनीतिकार बिहार में झारखंड का इतिहास दोहराने के लिए इस कोशिश में जुटे हैं कि बिहार विधानसभा में मुख्य विपक्षी पार्टी आरजेडी के साथ उसका गठबंधन जमीन पर भी मजबूत दिखे. झारखंड में गठबंधन का जीत का बहुत बड़ा कारण गठबंधन में शामिल दलों की ओर से अपने मतदाताओं को सहयोगी दलों में वोटों का शिफ्ट कराना भी है.

कांग्रेस-आरजेडी एकसाथ

कांग्रेस का मानना है कि झारखंड में कांग्रेस पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) के साथ गठंबन में दूसरे नंबर की पार्टी है, जो जेएमएम की झारखंड में स्थिति है, वह आरजेडी की बिहार में स्थिति है. बिहार में विपक्षी दलों के महागठबंधन में कांग्रेस और आरजेडी के अलावा पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा की नेतृत्व वाली राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा), पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी की पार्टी हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) और विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के भी साथ आने की पूरी संभावना है. ये तीनों पार्टियां ऐसी हैं जो बिहार में जेडीयू और बीजेपी को निशाने पर लेती रही हैं.

आरजेडी शुरू से नीतीश कुमार पर हमला बोलती रही है. अब झारखंड में गठबंधन की सरकार बनने के बात आरजेडी और हमलावर होती दिख रही है. लिहाजा लालू यादव ने 'दो हजार बीस हटाओ नतीश' का नारा देकर एक तरह से पार्टी कार्यकर्ताओं को पूरी तरह से चुनावी मोड में आ जाने की नसीहत दी है. लालू यादव ने शुक्रवार को भी जेडीयू पर निशाना साधा था और एक ट्वीट में कहा था, इस बार जनता कसके वोट की झाड़-फूंक से इनके सारे भूत-प्रेत छुड़ा देगी. विकराल बेरोजग़ारी, महंगाई, ध्वस्त विधि व्यवस्था, बदहाल शिक्षा व्यवस्था और घूसखोरी जैसे सतही भूत-प्रेती और डरावने मुद्दों की बात नहीं करके छलिया लोग जनता को भ्रमित करने के लिए भुतही बातें कर रहे हैं.

आरजेडी को जीत की उम्मीद

बता दें, पिछले विधानसभा चुनाव (2015) में लालू प्रसाद और नीतीश कुमार की पार्टी गठबंधन के साथ चुनाव मैदान में उतरी और विजयी भी हो गई लेकिन कुछ ही समय के बाद लालू परिवार पर भ्रष्टाचार के आरोप लगने लगे और नीतीश को लालू का साथ छोड़ देना पड़ा. नीतीश का अलग होना लालू के लिए किसी बड़े झटके से कम नहीं था. रातों रात लालू प्रसाद एक बार फिर राज्य की सत्ता से बाहर हो गए और उनकी पार्टी विपक्ष की भूमिका में आ गई. इसके बाद लालू पर पुराने चारा घोटाले के कई अन्य मामलों में भी सजा हो गई.

केंद्र में कभी 'किंगमेकर' की भूमिका निभाने वाले लालू यादव बिहार से करीब 350 दूर झारखंड की राजधानी रांची की एक जेल में सजा काट रहे हैं. वे राजनीति में आजकल बहुत ज्यादा सक्रिय नहीं दिखते लेकिन पार्टी अगले विधानसभा चुनाव में उन्हें अपना आदर्श बताकर आगे बढ़ सकती है. हालांकि पिछले साल हुए लोकसभा चुनाव में आरजेडी ने यही रणनीति अपनाई थी लेकिन उसे करारी हार का सामना करना पड़ा, उसे एक सीट भी नहीं मिल पाई.

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