अमेरिका: टाइम्स स्क्वायर पर CAA के समर्थन में भारतीयों का प्रदर्शन


नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) का देश के साथ साथ विदेशों में भी विरोध हो रहा है. वहीं, अब सीएए के समर्थन में भी लोग सड़क पर उतरने लगे हैं. देश के साथ ही विदेश में भी सीएए के समर्थन में रैलियों हो रही हैं और मार्च निकाले जा रहे हैं.

अमेरिका के टाइम्स स्क्वायर पर प्रवासी भारतीयों ने मार्च निकाला. हाथों में तख्तियां लेकर प्रवासी भारतीयों ने सीएए का समर्थन किया. इसके साथ ही पाकिस्तान पर अल्पसंख्यकों के साथ किए गए बुरे बर्ताव का भी जिक्र किया.

लंदन में सीएए का हुआ था विरोध

इससे पहले, लंदन में भारतीय दूतावास के बाहर असम मूल के लोगों ने नागरिकता संशोधन कानून का विरोध करते हुए नारेबाजी की थी. प्रदर्शनकारियों का कहना था कि यह धर्म को बांटने वाला और धार्मिक भेदभाव पर आधारित है. उन्होंने कहा कि हम अपने असम के परिवारों के साथ एकजुटता के साथ खड़े हैं. हम चाहते हैं कि हमारी आवाज सुनी जाए.

प्रदर्शनकारियों ने कहा कि नए कानून से असमिया संस्कृति और अर्थव्यवस्था दोनों को खतरा है. हम कोई भी आव्रजन कानून नहीं चाहते हैं. अर्थव्यवस्था आव्रजन को झेलने लायक नहीं है. इस कानून का आधार धार्मिक है.

रंगोली बनाकर जताया विरोध

चेन्नई में नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए), राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) के खिलाफ एक अनोखे विरोध प्रदर्शन में कुछ महिलाओं ने रविवार को बेसंत नगर इलाके में 'कोलम' (रंगोली) बनाई और नो टू सीएए, नो टू एनआरसी और नो टू एनपीआर लिखा.

सिटी पुलिस ने इस संबंध में छह महिलाओं को हिरासत में लिया और बाद में उन्हें रिहा कर दिया. 'कोलम' ने बड़ी संख्या में लोगों का ध्यान आकर्षित किया जिस वजह से यातायात बाधित हुआ.

पुलिस ने पहले संपर्क किए जाने पर इस तरह के 'कोलम' को बनाए जाने की अनुमति देने से इनकार किया. हालांकि, महिलाओं का यह समूह अपनी योजना के साथ आगे बढ़ा. इन्हें पुलिस ने कम्युनिटी सेंटर में हिरासत में लिया, जिसके कुछ देर बाद उन्हें रिहा कर दिया गया. द्रमुक अध्यक्ष एमके स्टालिन ने पुलिस कार्रवाई की कड़ी निंदा की थी. एक फेसबुक पोस्ट में स्टालिन ने कहा कि यह अन्नाद्रमुक सरकार के अत्याचार का एक अन्य उदाहरण है, जो संविधान में दिए गए मौलिक अधिकार के इस्तेमाल को रोकता है.

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