मानव सेवा: पर्यावरण, शिक्षा, स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता

पर्यावरण शब्द का निर्माण दो शब्दों से मिल कर हुआ है. "परि" जो हमारे चारों ओर है, "आवरण" जो हमें चारों ओर से घेरे हुए है. पर्यावरण उन सभी भौतिक, रासायनिक एवं जैविक कारकों की समष्टिगत इकाई है जो किसी जीवधारी अथवा आबादी को प्रभावित करते हैं तथा उनके रूप, जीवन और जीविता को तय करते हैं. आज पर्यावरण एक जरूरी सवाल ही नहीं बल्कि ज्वलंत मुद्दा बना हुआ है लेकिन आज लोगों में इसे लेकर कोई जागरूकता नहीं है.


पर्यावरण का सीधा सम्बन्ध प्रकृति से है. अपने परिवेश में हम तरह-तरह के जीव-जन्तु, पेड़-पौधे तथा अन्य सजीव-निर्जीव वस्तुएँ पाते हैं. ये सब मिलकर पर्यावरण की रचना करते हैं. विज्ञान की विभिन्न शाखाओं जैसे-भौतिक विज्ञान, रसायन विज्ञान तथा जीव विज्ञान, आदि में विषय के मौलिक सिद्धान्तों तथा उनसे सम्बन्ध प्रायोगिक विषयों का अध्ययन किया जाता है. परन्तु आज की आवश्यकता यह है कि पर्यावरण के विस्तृत अध्ययन के साथ-साथ इससे सम्बन्धित व्यावहारिक ज्ञान पर बल दिया जाए.

मानव अपने प्रयास तथा टेस्नोलॉजी की सहायता से मौसम व जलवायु के प्रभाव को परिवर्तित कर सकता है, परंतु फिर भी मानव अपने भोजन, कपडे तथा मकान जैसी आवश्यक आवश्यकताओं की आपूर्ति अपनी जलवायु तथा संसाधनों के अनुसार करता है. मानव की आवश्यक और आरामदेह आवश्यकताएँ, टेक्नोलॉजी तथा आर्थिक उन्नति, सामाजिक प्रगति पर जलवायु का गहरा प्रभाव पड़ता है.

इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए 'मानव सेवा' के उद्देश्य से पर्यावरण, शिक्षा, स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता के लिए युवाशक्ति के इस प्रयास से जुड़ें. कार्यक्रम का आयोजन साल्टलेक के मेवाड़ बेंक्वेट में 14 अगस्त को सुबह 10 बजे से होना तय है. इसमें आईपीएस एलएन मीणा, आईपीएस डॉ. राजेश कुमार सहित कई विशेषज्ञ लोग वक्तव्य देंगे. इस कार्यक्रम में आप अपनी सहभागिता जरूर सुनिश्चित करें!

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