Chandrayaan-2 से ली गई चांद की पहली तस्वीर इसरो (ISRO) ने जारी की है. चांद की सतह से करीब 2650 किलोमीटर दूरी से ये तस्वीर ली गई है। इससे पहले 21 अगस्त को Chandrayaan-2 ने चांद की दूसरी कक्षा में प्रवेश किया था.
ISRO: First Moon image captured by #Chandrayaan2 #VikramLander taken at a height of about 2650 km from Lunar surface on August 21, 2019. Mare Orientale basin and Apollo craters are identified in the picture. pic.twitter.com/eKTncvjexT— ANI (@ANI) August 22, 2019
भारत का चंद्रयान-2 कदम-दर-कदम मंजिल की ओर बढ़ रहा है. बुधवार को इसने एक और अहम पड़ाव पार किया. यान चांद की दूसरी कक्षा में पहुंच गया है. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO)ने कक्षा में बदलाव के बाद बताया कि चंद्रयान-2 के सभी उपकरण सही ढंग से काम कर रहे हैं.
बुधवार दोपहर 12 बजकर 50 मिनट पर यान की कक्षा में बदलाव किया गया था. अगला बदलाव 28 अगस्त को सुबह साढ़े पांच से साढ़े छह बजे के बीच होना है. 22 जुलाई को रवाना हुए चंद्रयान-2 ने तीन हफ्ते तक पृथ्वी की अलग-अलग कक्षाओं में चक्कर लगाया था. इसके बाद 14 अगस्त को यान की कक्षा में बदलाव करते हुए इसे लूनर ट्रांसफर ट्रेजेक्टरी (LTT) पर पहुंचा दिया गया था. LTT वह पथ है, जिस पर बढ़ते हुए यान मंगलवार को चांद की दहलीज पर पहुंचा और लूनर ऑर्बिट इंसर्शन (LOI) प्रक्रिया के जरिये इसे चांद की कक्षा में प्रवेश कराया गया. LOI प्रक्रिया पूरी होने के बाद इसरो प्रमुख के. सिवन ने कहा था कि करीब 30 मिनट तक ऐसा लगा मानो हम सबकी धड़कनें थम गई हों.' अभी यान को चांद की निकटतम कक्षा तक पहुंचाने के लिए इसके पथ में तीन बदलाव और किए जाएंगे। निकटतम कक्षा चांद की सतह से 100 किलोमीटर ऊपर होगी.
अभी हैं कई अहम पड़ाव
यान के तीन हिस्से हैं- ऑर्बिटर, लैंडर 'विक्रम' और रोवर 'प्रज्ञान'. ऑर्बिटर करीब सालभर चांद की परिक्रमा करते हुए प्रयोगों को अंजाम देगा, जबकि लैंडर-रोवर चांद पर उतरकर प्रयोग करेंगे. इसरो ने बताया कि दो सितंबर को यान के लैंडर-रोवर इसके ऑर्बिटर से अलग हो जाएंगे. इसके बाद धीरे-धीरे लैंडर-रोवर को चांद की सतह पर उतारने की प्रक्रिया चलेगी. सात सितंबर को लैंडर-रोवर चांद पर कदम रखेंगे. चांद पर उतरने के बाद रोवर भी लैंडर से अलग हो जाएगा. लैंडिंग इसरो के लिए इस कारण से भी बड़ी चुनौती है क्योंकि भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी ने अब तक ऐसा नहीं किया है. इस लैंडिंग के साथ ही भारत यह उपलब्धि हासिल करने वाला चौथा देश बन जाएगा. इससे पहले अमेरिका, रूस और चीन ने अपना यान चांद पर उतारा है.
मिलेंगे कई अहम नतीजे
चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर पर कुल आठ वैज्ञानिक उपकरण (पेलोड) लगे हैं. यह चांद की सतह की मैपिंग करेगा और साथ ही इसके बाहरी वातावरण का अध्ययन करेगा. इसी तरह चांद की सतह के अध्ययन के लिए लैंडर और रोवर पर क्रमश: तीन और दो पेलोड लगे हैं। लैंडर और रोवर की लैंडिंग चांद के दक्षिणी ध्रुव की ओर होनी है, जहां अब तक किसी देश का यान नहीं पहुंचा है. चंद्रयान-2 इस हिस्से पर खनिज व अन्य रासायनिक घटकों की उपलब्धता का पता लगाएगा.
भारत का दूसरा चंद्र अभियान
यह भारत का दूसरा चंद्र अभियान है. 22 जुलाई को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से इसरो के सबसे भारी रॉकेट जीएसएलवी-मार्क 3 की मदद से चंद्रयान-2 को प्रक्षेपित किया गया था. 2008 में भारत ने आर्बिटर मिशन चंद्रयान-1 भेजा था। यान ने करीब 10 महीने चांद की परिक्रमा करते हुए प्रयोगों को अंजाम दिया था। चांद पर पानी की खोज का श्रेय भारत के इसी अभियान को जाता है।. चंद्रयान-2 से इस दिशा में भी नए प्रमाण जुटाए जाने की उम्मीद है.