बिहार में एईएस (एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम) या इंसेफेलौपैथी हर साल बच्चों पर कहर बनकर टूटता है. इस साल भी गर्मियों में एईएस के कारण उत्तर बिहार में 108 बच्चों की मौत हो चुकी है. इनमें एक बच्ची की मौत तो रविवार को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन के निरीक्षण के दौरान ही हो गई.
एईएस से सर्वाधिक मौत की बात करें तो एक दशक के दौरान साल 2012 में 120 मौत का रिकार्ड है. इस बीच इलाज में लापरवाही के आरोप भी लगे हैं. इस बीच बिहार के मंत्री सुरेश शर्मा ने विवादित बयान दिया है कि बीमारी दस्तक देकर नहीं आती. उन्होंने यह भी माना कि जैसे हालात हैं, उसके अनुसार इलाज की व्यवस्था नहीं हो सकी है.
एईएस से मौतों के कारण अब मुजफ्फरपुर से पटना-दिल्ली तक हाहाकर मच गया है. इस बीच केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन आज बीमारी की स्थिति का जायजा लेने आज मुजफ्फरपुर पहुंचे हैं. इसके पहले पटना पहुंचने पर आज सुबह उन्हें पप्पू यादव की जन अधिकार पार्टी के कार्यकर्ताओं ने काले झंडे दिखाए. पटना में डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि जब तक वे स्थिति का जायजा नहीं ले लेते, कुछ नहीं कह सकते. उन्होंने मुजफ्फरपुर से लौटने के बाद इस बाबत बताने का वादा किया.
उत्तर बिहार के सबसे बड़े अस्पताल श्रीकृष्ण मेडिकल कॉलेज व अस्पताल (एसकेएमसीएच) में बीमार बच्चों की संख्या बढ़ती जा रही है. उत्तर बिहार में एईएस अपने भयावह रूप में आ चुका है. इस मौसम में अब तक 108 बच्चों की मौत हो चुकी है.
रविवार को दो बच्चों की मौत केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन के निरीक्षण के दौरान ही हो गई. पांच साल की एक बच्ची निशा की मौत तो उनके सामने ही हो गई. इस दौरान वहां केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री अश्विनी चौबे तथा बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय भी मौजूद थे. मंत्रियों की मौजूजगी में ही मरी दूसरी बच्ची मुन्नी कुमारी बताई जा रही है.
स्वास्थ्य प्रशासन व सरकार एईएस से इलाज की मुकममल व्यवस्था के दावे कर रही है, लेकिन मौत का आंकड़ा बढ़ता जा रहा है. इस बीच बीमार बच्चों के परिजनों में इलाज की व्यवस्था को ले असंतोष देखा जा रहा है.