स्मार्टफोन ने जिंदगी को आसान तो बनाया है, लेकिन इसके साथ कई चिंताएं भी जुड़ी हैं. मां-बाप इस बात से परेशान रहते हैं कि बच्चे फोन पर बहुत ज्यादा वक्त बिता रहे हैं. उन्हें अक्सर यह चिंता सताती है कि कहीं बच्चे को फोन की लत ना लग जाए. बच्चों की चिंता करते-करते मां-बाप भूल जाते हैं कि कहीं बच्चे को भी यही चिंता तो नहीं सता रही? एक अध्ययन के मुताबिक, बहुत से बच्चों को लगता है कि उनके माता-पिता को फोन की लत लग गई है.
अमेरिका के एक गैर-लाभकारी संगठन कॉमन सेंस मीडिया ने फोन के इस्तेमाल पर माता-पिता और बच्चों की सोच पर अध्ययन किया. इस अध्ययन में कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए. अध्ययन में पाया गया कि 10 में से सात माता-पिता को लगता है कि उनका बच्चा फोन का ज्यादा इस्तेमाल करता है. इनमें से छह को तो लगता है कि बच्चे को फोन की लत लग गई है. कमोबेश यही हाल बच्चों का भी है. 10 में से चार बच्चों को लगता है कि उनके मां-बाप जरूरत से ज्यादा समय फोन पर बिताते हैं.
सबसे ज्यादा चौंकाने वाली बात यह है कि कोई भी एक-दूसरे से इस बारे में कहता नहीं है. फोन का इस्तेमाल कितना हो, कैसे हो, इस तरह की बातों पर कोई किसी को टोकता नहीं है. चिंता की बात यह है कि अगर माता-पिता को ही फोन की लत लग जाएगी, तो बच्चों को कौन समझाएगा? सवाल यह भी है कि अगर बच्चा आपको ही फोन की लत का शिकार मानता है, तो आपकी बातों का उस पर कितना असर होगा?
अमेरिका के एक गैर-लाभकारी संगठन कॉमन सेंस मीडिया ने फोन के इस्तेमाल पर माता-पिता और बच्चों की सोच पर अध्ययन किया. इस अध्ययन में कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए. अध्ययन में पाया गया कि 10 में से सात माता-पिता को लगता है कि उनका बच्चा फोन का ज्यादा इस्तेमाल करता है. इनमें से छह को तो लगता है कि बच्चे को फोन की लत लग गई है. कमोबेश यही हाल बच्चों का भी है. 10 में से चार बच्चों को लगता है कि उनके मां-बाप जरूरत से ज्यादा समय फोन पर बिताते हैं.