मौत का फंदा बन रहा है सोशल साइट


राज्य में 2 दिनों में 3 के जान गंवाने की खबर

सैकत पाल
कोलकाता: पिछले 2 दिनों में सोशल नेटवर्किंग साइट के लिये राज्य के 3 युवा-युवतियों की जान चलीे गयी है. अब बंगाल से ही उठ रही है फेसबुक पर प्रतिबंध लगाने की मांग. बुजुर्गों का कहना है कि, बंगाल आज जो सोचता है, पुरे देश वह कल सोचता है. विशेषज्ञ कह रहे है कि, अगर बंगाल से उठी यह मांग देश में गुंज उठे तो सोशल साइट के जरिये हो रहे खतरों से बचने के लिए आने वाले पीढ़ियों के लिए अच्छा होगा. हालांकि, पिछले 3 दिनों से राज्य के 4 युवा-युवतियों की मृत्यु और लापता होने की खबर सामने आयी है.
इनमें सबसे खतरनाक है बांकुड़ा की आकांक्षा शर्मा की मौत. उसने फेसबुक  पर आईआईटी इंजीनियर उदयन दास से दोस्ती की. दोनों के बीच प्यार हुआ व फेसबुकिया प्यार के बाद वह उसके साथ लिव इन रिलेशन में रहने लगी. अंत में उसके दोस्त उदयन ने उसकी हत्या करके उसके शव को गाडा व वहीं पर मकबरा बना दिया. इस दर्दनाक घटना के खुलासे के बाद सोशल साइट का युवा वर्ग के बीच बढ़ती लोकप्रियता खतरा का सूचक होता जा रहा है. 
एक और घटना है शुक्रवार की .कोलकाता शहर की लड़की मौसुमी बर्मन अपने फेसबुक फ्रेंड के प्रेम में पड़कर घर छोड़ी थी. लेकिन उसकी कीमत अपनी जान से देनी पड़ी. अपने फेसबुक फ्रेड के  प्यार पर ऐतबार कर उसने घर तो छोड़ दिया पर उसके जाली प्यार ने उसे दुनिया छोड़ने पर मजबूर कर दिया. ऐसी ही घटना शुक्रवार को भी घटी. हुगली जिले के चुंचुड़ा में मौसुमी का शव मिला है.
 इसके साथ शनिवार को शहर के बेहला इलाके  की 19 साल की लड़की मौमिता दास के  मरने की खबर सामने आयी है. इस घटना के पिछे भी मुख्य कारण है फेसबुक फ्रेंड. युवा वर्ग में काफी लोकप्रिय इस सोशल नेटवर्किंग साइट में हुये फ्रेंड सेे शादी करने के लिये बेचैन थी मौमिता. उसका परिवार इस सम्बंध को मान भी लिया था. उसके बावजूद भी अपने प्रेमी की बेवफाई के कारण घर में लटक कर मौमिता ने अपनी जान दे दी है. उनकी मृत्यु की रहस्य जांच कर रही है पुलिस. लेकिन ये तीनों घटना के पिछे एक ही कारन सामने आया है, वो है फेसबुक.
 एक के बाद एक इन तीनों घटनाओं से चकित शहरवासियोेंं की तरफ से अब उठ रही है फेसबुक पर प्रतिबंध लगाने की मांग. सोशल नेटवर्किंग पर विश्लेषण करने वाली एक संस्था के आंकड़े के मुताबिक, पिछले 3 सालों में देश की टीन-एज लड़का-लड़कीयों की सोशल नेटवर्क सर्फिंग करने की संख्या लखभग 70 प्रतिशत बढ़ गयी है. संस्था के आंकड़े के मुताबिक, अब देश में 12 से 20 साल के बीच 73 प्रतिशत लड़का-लड़की सोशल नेटवर्क पर डूबे है. कोलकाता समेत हर मेट्रो शहर में ये संख्या लखभग 80 प्रतिशत है. अपने आसपास के परिचित न होने के कारण यह नयी पीढ़ी काफी इमोशनल भी हो रही है. इसके लिये देश मे अभी टीन-एज आत्महत्या की संख्या काफी बढ़ गयी है. सिर्फ टीन-एज बच्चे नहीं, पुरुषों और औरतों के बीच भी सोशल नेटवर्क में डूबे रहने का आंकड़ा सामने आया है. आंकड़े के मुताबिक, अब देश में 52 प्रतिशत पुरुष व महिला सोशल नेटवर्क पर दिन के कुल 4 घंटे समय बिता रहे हैं. लोगों का यह आकर्षण अपरिचित लेकिन बहुत दिलचस्त फ्रेंड को अब अपना मान कर खतरा को अपने पास ला रहे हैं . 
इस समस्या को दूर करने के लिये बंगाल से ही कानून के जरिये फेसबुक पर प्रतिबंध लगाने की मांग उठ रही है. इस विषय में राज्य के एक जानेमाने अस्पताल के साइकियाट्रिस्ट का कहना है कि, सोशल नेटवर्क को वास्तव मान कर युवा-युवतियां खतरा की ओर आगे बढ़ रहे हैं. इसके कारण शरीर में कई तरह की बीमारियां आ रही हैैं. साथ ही टीन-एज बच्चें अपने मां-बाप को भी छोड़ कर अपने तरीके से जीने के आदि होते जा रहे हैं जो भविष्य के बड़े खतरे का सूचक है.
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