सऊदी के आर्मी अफसरों को ट्रेनिंग देगा जर्मनी




मध्य पूर्व की हिंसा में सऊदी अरब की भूमिका के बावजूद जर्मनी सऊदी राजशाही के साथ सैन्य सहयोग बढ़ाना चाहता है. जर्मनी को पता है कि यह दोधारी तलवार पर चलने जैसा है.

सऊदी अरब के आर्मी अफसर ट्रेनिंग लेने के लिए जर्मनी आएंगे. उन्हें जर्मन सेना ट्रेन करेगी. जर्मन रक्षा मंत्रालय ने इन खबरों की पुष्टि की है. इस बाबत पक्का समझौता आने वाले हफ्तों में हो सकता है. सऊदी अरब के पहले दौरे पर गई जर्मन रक्षा मंत्री उर्सुला फॉन डे लायन ने इस बारे में सऊदी राजशाही से बातचीत की है. दोनों पक्षों के बीच समझौते को अंतिम स्वरूप देने पर चर्चा हुई. एंग्रीमेंट के तहत हर साल तीन से पांच सऊदी अफसरों को जर्मन सेना ट्रेनिंग देगी.
इसके बदले जर्मन सेना का एक अधिकारी रियाद के "इस्लामिक मिलिट्री काउंटर टेररिज्म कोएलिशन" के मुख्यालय में जाएगा. इस्लामिक मिलिट्री काउंटर टेररिज्म कोएलिशन 39 देशों को गठबंधन है. यह गठबंधन 2015 में इस्लामिक स्टेट के खिलाफ बनाया गया है.

सऊदी अरब 2015 से ही जर्मनी के साथ सहयोग बढ़ाने की कोशिश कर रहा है. लेकिन ट्रेनिंग डील लंबी बातचीत के बाद ही संभव हुई. ट्रेनिंग किस तरह की होगी, इसके लिए पैसा कौन खर्च करेगा, इन मुद्दों पर अभी भी चर्चा चल रही है. जर्मन रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता ने डॉयचे वेले से बात करते हुए कहा, "क्या होगा, इसके बारे में अभी पक्की योजना नहीं है. नियम तो यह है कि सैनिक भेजने वाला देश बताता है कि वे कैसी ट्रेनिंग चाहते हैं और फिर हम देखेंगे कि क्या अपनी क्षमता के मुताबिक हम सैनिकों को ले पाते हैं."
जर्मनी की सैन्य पत्रिका यानेज डिफेंस वीकली के संवाददाता सेबास्टियान शुल्टे मानेत हैं कि यह सैन्य समझौते से ज्यादा विदेश नीति से जुड़ा फैसला है. शुल्टे इसे राजनैतिक फैसला करार देते हैं, "क्या जर्मनी सऊदी अरब के साथ सुरक्षा संबंधी रिश्ते बढ़ाना चाहता है, ये एक दूसरे किस्म का सवाल है जिसका जवाब नेताओं को देना है. सऊदी अरब इलाके में स्थिरता नहीं फैला रहा है, बल्कि जर्मनी जिस देश, इस्राएल को अपना रणनैतिक साझेदार मानता है उसके खिलाफ एक प्रश्नवाचक रवैये को पाल रहा है."
नैतिक मूल्यों की जब बात आती है तो सऊदी अरब के साथ रिश्ते जर्मनी को शर्मिंदा करते हैं. शांति के पुरोधा सऊदी अरब को हथियार बेचने के लिए लंबे समय से जर्मनी की आलोचना करते हैं. इन कार्यकर्ताओं की नजर में सऊदी अरब एक धार्मिक तानाशाही है.
सऊदी अरब के लड़ाकू विमान 2015 से यमन में हौसी विद्रोहियों पर हमले कर रहे हैं. 18 महीने से चल रहे संघर्ष में संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक अब तक करीब 10,000 लोग मारे जा चुके हैं. अक्टूबर 2016 में सऊदी अरब ने यमन की राजधानी सना में एक जनाजे को निशाना बनाया. हमले में 140 लोग मारे गए और 525 लोग घायल हुए.
जर्मनी भी इस उलझन को जानता है. जर्मनी की दिग्गज पत्रिका डेय श्पीगल के मुताबिक रक्षा मंत्रालय के अंदरूनी मेमो में सऊदी अरब को मध्य पूर्व के इलाके का "एक मुश्किल लेकिन मुख्य पार्टनर" कहा गया है. बीते कई सालों से सऊदी अरब जर्मन हथियारों बड़ा खरीदार है. कैंपेन अंगेस्ट आर्म्स ट्रेड के मुताबिक 2001 से 2014 के बीच जर्मनी ने सऊदी अरब को 2.8 अरब डॉलर के हथियार बेचे हैं. इनमें टैंक, गोला बारूद, मिलिट्री बोट और सैन्य वाहन शामिल हैं. 2008 में रियाद ने हेल्कर एंड कोख की जी36 असॉल्ट राइफल बनाना लाइसेंस भी हासिल किया.


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