भोपाल: मथुरा की हिंसक घटना के लिये उत्तर प्रदेश सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए केन्द्रीय शहरी विकास राज्यमंत्री बाबुल सुप्रियो ने आज कहा कि यह स्पष्ट तौर पर स्थानीय प्रशासन की लापरवाही का नतीजा है। मथुरा के इस संघर्ष में पुलिस अधीक्षक सहित 24 लोगों की मौत हो गई थी। सुप्रियो ने आज यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘उत्तर प्रदेश के मथुरा की घटना से यह जाहिर होता है कि किसी भी इलाके में बढ़ते तनाव को नजरअंदाज करें, तो वह कितना बढ़ सकता है। मथुरा एक बहुत ही पावन भूमि है उस जगह पर यह घटना होना, जिसमें पुलिस के एक एसपी को भी अपनी जान गंवानी पड़ी, यह अच्छी बात तो है ही नहीं, लेकिन कहीं न कहीं ऐसा लगता है कि स्थानीय प्रशासन की ओर से इस मामले में लापरवाही हुई है।’’
उन्होंने कहा कि मथुरा में अतिक्रमण को हटाने के लिए जो भी तनाव चल रहा था। उस तनाव में अगर इतना बड़ी आग अंदर ही अंदर जल रही थी, तो उत्तर प्रदेश शासन को इस पर ध्यान देना चाहिये था। केन्द्रीय मंत्री ने कहा केन्द्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने इस मामले में रिपोर्ट मांगी है। पूरा वाकया तो हो चुका है, अब डेमेज कंट्रोल की बात है। यह गुप्तचर विफलता का भी मामला है। यह भी डेमेज कंट्रोल के तहत आता है। उन्होंने कहा, ‘‘यह बहुत ही खौफनाक घटना है। यह किसकी विफलता है। इसकी तहकीकात होनी चाहिये।’’ उन्होंने कहा कि इतनी बड़ी घटना की जवाबदेही राज्य सरकार पर ही आती है क्योंकि कानून एवं व्यवस्था का मामला राज्य का होता है। उत्तर प्रदेश सरकार ने इसे नजरअंदाज किया है। घटना में पुलिस के एक एसपी और एक एसएचओ की मौत हो जाती है। इससे पता चलता है कि वह (उप्र सरकार) कितने ज्यादा तैयार थे और स्थानीय प्रशासन इतने दिन से क्या कर रहा था।
मथुरा में गुरुवार को सरकारी जमीन पर अतिक्रमण करने वाले गुट और पुलिस के बीच हुए संघर्ष में एक पुलिस अधीक्षक, एक एसएचओ सहित 24 लोगों की मौत हो गई थी। पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में भाजपा के प्रदर्शन के सवाल पर सुप्रियो ने कहा, ‘‘वर्ष 2014 के लोकसभा चुनावों की तुलना में पार्टी को 17 प्रतिशत से घटकर 10.2 प्रतिशत मत मिला है लेकिन यह मत प्रतिशत एक समान प्रकृति का है तथा प्रदेश के सभी हिस्सों में लोगों ने एक समान रूप से मत दिया है। इस लिहाज से यह पार्टी के लिये यह एक अच्छी शुरूआत है।