देशभर के करीब तीन लाख डॉक्टर आज से एक दिन की हड़ताल पर हैं। इस देशव्यापी हड़ताल की घोषणा इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने की है। डॉक्टर 31 जुलाई सुबह 6 बजे से 1 अगस्त सुबह 6 बजे तक हड़ताल पर रहेंगे। दरअसल, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) ने लोकसभा में पास हुए नेशनल कमीशन बिल 2019 पास होने का विरोध कर रहे हैं।
बता दें कि इमरजेंसी, ट्रॉमा, आईसीयू और संबंधित सेवाएं चालू रहेंगी। आईएमए ने घोषणा करते हुए कहा है कि मेडिकल कमीशन बिल के खिलाफ उनकी लड़ाई जारी रहेगी।
क्या है आईएमए की दलील
आईएमए का कहना है कि इस बिल की वजह से मेडिकल कॉलेजों में चिकित्सा शिक्षा महंगी हो जाएगी। बिल में कहा गया है कि मेडिकल कॉलेजों के प्रबंधन 50 फीसदी से ज्यादा सीटों को अधिक दर पर बेच पाएंगे। साथ ही उनका कहना है कि इस बिल में मौजूदा धारा-32 के तहत करीब 3.5 लाख लोग जिन्होंने चिकित्सा की पढ़ाई नहीं की है उन्हें भी लाइसेंस मिल जाएगा। इससे लोगों की जान खतरे में पढ़ सकती है। साथ ही आईएमए ने यह भी कहा कि इस बिल में कम्युनिटी हेल्थ प्रोवाइडर शब्द को ठीक से परिभाषित नहीं किया है। जिससे अब नर्स, फार्मासिस्ट और पैरामेडिक्स आधुनिक दवाओं के साथ प्रैक्टिस कर सकेंगे और वह इसके लिए प्रशिक्षित नहीं होते हैं।
यहां जानें नए मेडिकल बिल में क्या बदलाव किए गए हैं
बनाई जाएगा मेडिकल एडवाजरी काउंसिल
केंद्र सरकार एक एडवाइजरी काउंसिल बनाएगी जो मेडिकल शिक्षा और ट्रेनिंग के बारे में राज्यों को अपनी समस्यां साथ ही सुझाव रखने का मौका देगी। इतना ही नहीं काउंसिल मेडिकल शिक्षा को किस तरह बेहतर बनाया जाए इसे लेकर भी सुझाव देगी।
अब होगी मेडिकल की एक ही परिक्षा
कानून के लागू होने के साथ ही पूरे देश के मेडिकल कॉलेजों में दाखिले के लिए सिर्फ एक ही परीक्षा होगी। जिसका नाम होगा शनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट (NEET)।
मेडिकल प्रैक्टिस के लिए भी देना होगा टेस्ट
अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद भी डॉक्टरों को मेडिकल प्रैक्टिस करने के लिए टेस्ट देना होगा। वह यदि इस परीक्षा को पास करते है तभी उन्हें मैडिकल प्रैक्टिस करने के लिए लाइसेंस दिया जाएगा। इसी के आधार पर पोस्ट ग्रैजुएशन में एडमिशन किया जाएगा। इसपर डॉक्टरों का कहना है कि यदि कोई छात्र किसी वजह से एक बार एग्जिट परीक्षा नहीं दे पाया तो उसके पास दूसरा विकल्प नहीं है क्योंकि, इस बिल में दूसरी परीक्षा का विकल्प ही नहीं है।
खत्म होगी मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया
जैसे ही ये कानून मुख्यधारा में आएगा उसी के साथ मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया खत्म हो जाएगा। जिससे अधिकारियों कर्मचारियों की सेवाएं भी खत्म हो जाएंगी। हालांकि, उन्हें तीन महीने की सैलरी और भत्ते दिए जाएंगे। इसके बाद नेशनल मेडिकल कमीशन बनाया जाएगा। यहां बता दें कि मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया के अफसरों की नियुक्ति चुनाव के जरिए की जाती थी। लेकिन, मेडिकल कमीशन में सरकार द्वारा गठित एक कमेटी अधिकारियों का चयन करेगी।
तय होगी निजी मेडिकल कॉलेजों की फीस
नेशनल मेडिकल कमीशन ही तय करेगा की निजी मेडिकल संस्थानों की फीस कितनी होगी। हालांकि, वह ऐसा बस 40% सीटों के लिए ही करेगा। 50 फीसदी या उससे ज्यादा सीटों की फीस निजी संस्थान खुद तय कर सकते हैं।
आयुर्वेद-होम्योपैथी के डॉक्टर भी करेंगे एलोपैथिक इलाज
बिल के तहत एक ब्रिज कोर्स कराया जाएगा। जिसके बाद आयुर्वेद, होम्युपेथी डॉक्टर भी एलोपैथिक इलाद कर पाएंगे। आईएमए इसी का खुलकर विरोध कर रहा है।
दिया जाएगा मेडिकल रिसर्च को बढ़ावा
नेशनल मेडिकल कमीशन इस बात पर ध्यान देगा कि चिकित्सा शिक्षा में अंडर-ग्रैजुएट और पोस्ट-ग्रैजुएट दोनों स्तरों पर उच्च कोटि के डॉक्टर आएं। साथ ही मेडिकल प्रोफेशनल्स को इस बात के लिए भी प्रोत्साहित किया जाएगा की वह नए मैडिकल रिसर्च करें।