2008 में ही Missile Man अब्दुल कलाम ने 'Chandrayaan-2' को लेकर कही दी थी ये बड़ी बात!


'चंद्रयान के जरिये चंद्रमा पर की गई खोज पूरे देश को खासकर युवा वैज्ञानिकों और बच्चों को नई ऊर्जा से भर देगी। मुझे यकीन है कि बाहरी दुनिया की खोज में चंद्रयान केवल एक शुरुआत भर है।' ये कथन देश के पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम आजाद के थे, जो उन्होंने 'चंद्रयान-1' की लांचिंग से पहले कहे थे।

खुद एयरोस्पेस वैज्ञानिक रहे और भारत के मिसाइल मैन के नाम से मशहूर अब्दुल कलाम ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के 'चंद्रयान-1' की सफलता के बाद वैज्ञानिकों को कई सुझाव दिए थे।

करीब 10 साल पहले 2008 में मुंबई में 'चंद्रयान : प्रॉमिसेस एंड कंसर्न' पर नेशनल साइंस सेमिनार में उन्होंने कहा था कि इसरो को अब ऑर्बिटर मिशन की जगह 'चंद्रयान-2' के तहत अपना लैंडर चांद की सतह पर उतारना चाहिए, ताकि चंद्रमा पर पानी के अणुओं की मौजूदगी के बारे और अधिक जानकारी हासिल की जा सके।

दरअसल, इसरो के 2008 में लांच हुए ऑर्बिटर मिशन 'चंद्रयान-1' ने ही पहली बार चंद्रमा पर पानी की उपस्थिति का पता लगाया था। चंद्रमा पर पानी की खोज भारत की एमआइपी (मून इंपैक्ट प्रोब) डिवाइस ने की थी और नासा ने भी इसकी पुष्टि की थी।

उस सफलता से उत्साहित होकर ही इसरो अपने अगले मिशन की तैयारियों में जुट गया था। वह कलाम ही थे, जो किसी भी अंतरिक्ष मिशन को कम से कम लागत में करने का सुझाव देते थे, जिसका अनुसरण इसरो बखूबी कर रहा है।

उन्होंने नासा और इसरो के अंतरिक्ष वैज्ञानिकों को 2050 तक एक किलोग्राम वजन वाले अंतरिक्ष यान बनाने का सुझाव दिया था, जिससे मिशन की लागत को लगभग 10 गुना तक कम किया जा सके। उन्होंने भविष्य में इसरो और नासा को साथ मिलकर अगले मिशनों पर काम करने का भी सुझाव दिया था।
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