कमल हासन की विवादित टिप्पणी को लेकर हाईकोर्ट में याचिका


दिल्ली उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका में अभिनेता-नेता कमल हासन की विवादित टिप्पणी का जिक्र करते हुए चुनावी फायदे के वास्ते धर्म के इस्तेमाल को रोकने के लिए चुनाव आयोग को निर्देश देने की मांग की गयी है.

हासन ने हाल में एक रैली में महात्मा गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे को आजाद भारत का पहला हिंदू उग्रवादी बताया था. भाजपा नेता अश्विनी कुमार उपाध्याय की याचिका का मुख्य न्यायाधीश राजेंद्र मेनन और न्यायमूर्ति एजे भंभानी की पीठ के समक्ष उल्लेख किया गया. उन्होंने चुनावी फायदे के लिए धर्म के इस्तेमाल पर उम्मीदवारों पर पाबंदी लगाने और पार्टियों का पंजीकरण रद्द करने की मांग की है. पीठ ने उपयुक्त पीठ के सामने बुधवार को याचिका को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने को मंजूरी दे दी. पेशे से वकील उपाध्याय ने आरोप लगाया है कि हासन ने चुनावी फायदे के लिए अधिकतर मुस्लिमों की मौजूदगी वाली भीड़ के सामने ‘जानबूझकर' इस तरह की टिप्पणी की.

याचिका में कहा गया है कि जनप्रतिनिधित्व कानून, 1951 के तहत यह साफ तौर पर भ्रष्ट आचरण है. मक्कल नीधि मय्यम पार्टी के अध्यक्ष हासन ने एक चुनावी रैली में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे को आजाद भारत का पहला हिन्दू उग्रवादी बताया था. याचिका में उन्होंने कहा है कि आदर्श आचार संहिता के मुताबिक कोई भी पार्टी या उम्मीदवार ऐसी गतिविधि में लिप्त नहीं हो सकता जिससे कि विभिन्न जाति और समुदायों के बीच मतभेद पैदा हो. याचिका में कहा गया है कि हासन द्वारा चुनावी फायदे के लिए धर्म के कथित इस्तेमाल के बावजूद चुनाव आयोग ने इस संबंध में अब तक कुछ नहीं किया है.
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