2020 से भारत में बढ़ जायेगी गर्मी, पेयजल संकट के आसार


इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रोपिकल मिटियोरोलॉजी (आइआइटीएम) की एक रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ है कि भारत में साल 2020 से लू चलने और गर्मी के महीनों की समय सीमा बढ़ने वाली है. दक्षिण भारत के तटीय क्षेत्र जो अब तक हीट वेव से बचते रहे हैं, भी बड़े पैमाने पर प्रभावित होने वाले हैं. रिपोर्ट के मुताबिक, ऐसा अल नीनो से भिन्न एक मौसम प्रणाली ‘अल निनो मोडोकी’ के विकसित होने से हुआ है. 

अध्ययन में कहा गया है कि अल नीनो मोडोकी भारत में हीट वेव की वृद्धि के लिए जिम्मेदार हो सकती है. इससे मिट्टी की नमी का क्षय और पृथ्वी से वायुमंडल में गर्मी का स्थानांतरण की घटना के चलते इस प्रभाव में तेजी होगी. इन घटनाओं के साल 2020 और 2064 के बीच होने की संभावना है, जो दक्षिण भारत के कुछ हिस्सों और तटीय क्षेत्रों को बड़े पैमाने पर प्रभावित करेगी.

‘फ्यूचर प्रोजेक्शन ऑफ हीट वेव्स ओवर इंडिया फ्रॉम सीएमआइपी फाइव मॉडल्स’ नाम की इस रिपोर्ट को अंतरराष्ट्रीय पत्रिका ‘क्लाइमेट डायनामिक्स’ में प्रकाशित किया गया है. इसमें नौ जलवायु मॉडल की जांच की गयी है, ताकि यह पता किया जा सके कि भारत में गर्मी (हीट-वेव) की प्रचंडता, तीव्रता और अवधि कैसे बढ़ेगी और इसकी गंभीर स्थिति और स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव क्या होंगे.
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