आईएमएफ में कोटा संबंधी और सुधार जरूरी: प्रधानमंत्री



नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) में कोटा संबंधी और सुधार किये जाने की वकालत की ताकि वह वैश्विक आर्थिक वास्तविकताओं को प्रदर्शित कर सके, साथ ही बहुस्तरीय निकाय के कामकाज में भारत और अन्य उभरती हुई बड़ी अर्थव्यवस्थाओं की भूमिका को बढ़ाये। मोदी ने कहा कि 2010 में आईएमएफ में कोटा संशोधन के बारे में बनी सहमति लम्बे समय से लंबित थी और यह अंतत: प्रभाव में आ गई है लेकिन इसके बाद भी आईएमएफ कोटा वैश्विक आर्थिक वास्तविकताओं को प्रदर्शित नहीं करता है।
‘आगे बढ़ता एशिया’ विषय पर आईएमएफ और भारत द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित सम्मेलन को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, ''कोटा में बदलाव कुछ देशों की ‘ताकत’ को बढ़ाने से जुड़ा विषय नहीं है। यह निष्पक्षता और वैधता का विषय है। यह मानना कि कोटा का स्वरूप बदला जा सकता है, यह प्रणाली में निष्पक्षता के लिए जरूरी है।’’ उन्होंने कहा कि ऐसी संस्थाओं की वैधता को गरीब देशों का सम्मान प्राप्त करने के लिए, उन्हें उम्मीद बनाये रखने में सक्षम होना होगा।
प्रधानमंत्री ने कहा, ''और इसलिए मैं खुश हूं कि आईएमएफ ने अक्तूबर 2017 तक कोटा में सुधार के अगले दौर को अंतिम रूप देने का निर्णय किया है।’’ मोदी ने कहा कि जनवरी में लागू आईएमएफ कोटा सुधार से यह प्रदर्शित हुआ है कि विश्व अर्थव्यवस्था में उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं को अधिक तवज्जो मिली है। उन्होंने कहा, ''इससे उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं को आईएमएफ के सामूहिक निर्णयों में अपनी आवाज उठाने का ज्यादा अधिकार मिल सकेगा।’’ प्रधानमंत्री ने 2010 में किये गए निर्णयों का अनुमोदन करने के लिए सभी सदस्य देशों को तैयार करने में आईएमएफ की प्रबंध निदेशक क्रिस्टीन लागार्दे द्वारा निभाई गई भूमिका की सराहना की।
प्रधानमंत्री ने उम्मीद जाहिर कि आईएमएफ अपनी सफलताओं को और आगे बढ़ायेगा। उन्होंने कहा, ''वैश्विक संस्थाओं में सुधार एक सतत प्रक्रिया है। और जरूरी है कि यह वैश्विक अर्थव्यवस्था में बदलाव और उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं की बढ़ती हिस्सेदारी को प्रदर्शित करे।’’ उल्लेखनीय है कि आईएमएफ ने जनवरी में बहुप्रतीक्षित कोटा सुधार लागू करने की घोषणा की थी जिससे भारत और चीन जैसी उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं को अधिक मतदान अधिकार मिल सकेगा। आईएमएफ में भारत का कोटा 2.44 प्रतिशत से बढ़कर 2.7 प्रतिशत हो गया जबकि उसकी वोटिंग हिस्सेदारी 2.34 प्रतिशत से बढ़कर 2.6 प्रतिशत हो गई है। पहली बार आईएमएफ के 10 बड़े सदस्यों में उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं के समूह ब्रिक्स के चार देश- ब्राजील, चीन, भारत और रूस शामिल हुए हैं। इन 10 सबसे बड़े सदस्यों में अन्य देश- अमेरिका जापान, फ्रांस, जर्मनी, इटली और ब्रिटेन हैं।

मोदी ने कहा कि भारत का बहु स्तरीय व्यवस्था में हमेशा से काफी विश्वास रहा है। ''हमारा मानना है कि जैसे जैसे दुनिया अधिक जटिल होती जायेगी, बहु स्तरीय संस्थाओं की भूमिका बढ़ेगी।’’ आईएमए का जन्म 1944 में ब्रिटन वुड्स कांफ्रेंस में हुआ था और तब इसमें आरके शणमुगम चेट्टी भारत के प्रतिनिधि के रूप में शामिल हुए थे, जो स्वतंत्र भारत के पहले वित्त मंत्री बने। प्रधानमंत्री ने कहा, ''हमारा संबंध 70 वर्ष से भी अधिक पुराना है। हम एशियाई आधारभूत ढांचा निवेश बैंक और न्यू डेवेलपमेंट बैंक के संस्थापक सदस्य रहे हैं। हमें विश्वास है कि ये बैंक एशिया के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभायेंगे।’’ उन्होंने कहा कि आईएमएफ में बहुत अधिक संख्या में आर्थिक विशेषज्ञ हैं। उन्होंने कहा कि कोष सलाह देने के अलावा उनकी नीतियों के निर्माण की क्षमता तैयार करने में भी मददगार हो सकता है। मोदी ने बांग्लादेश, भूटान, नेपाल, मालदीव, श्रीलंका, भारत के साथ आईएमएफ के एक नये गठजोड़ की घोषणा की जो दक्षिण एशिया क्षेत्रीय प्रशिक्षण एचं तकनीकी सहायता केंद्र स्थापित करने से संबंधित है। यह केंद्र सरकारी और सार्वजनिक क्षेत्र के कर्मचारियों को प्रशिक्षण मुहैया कराएगा और उनकी कुशलता के विकास तथा उनके नीति संबंधी सलाहों के स्तर में सुधार करेगा। इसके साथ ही यह सरकारों और सार्वजनिक संस्थानों को तकनीकी मदद भी मुहैया कराएगा।
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