भारत ने विश्व को सांप्रदायिकता नहीं आध्यात्मिकता दी है


मुंबई : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जैन आचार्य रत्नसुंदरसुरीस्वरी की पुस्तक के विमोचन कार्यक्रम में भागीदारी की। उन्होंने वीडियो काॅन्फ्रेंसिंग के माध्यम से उपस्थितों को संबोधित किया। जिसमें भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि सभी धर्मों से श्रेष्ठ है राष्ट्रधर्म। भारत का विश्व को योगदान है। यह योगदान आध्यात्मिक योगदान है। पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ने उल्लेख किया है और उन्होंने खेद जताया है कि विश्व भारत के लोगों को पर्याप्त तरीके से समझ पाने में असफल रहा है।  देश की विरासत में अपना योगदान देने हेतु संत और धार्मिक नेता प्रयास करते रहे हैं। इनका योगदान अतुलनीय है। उन्होंने संतों और धार्मिक नेताओं की सराहना की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आचार्य श्री रत्नसुंदरसुरीस्वरी जी के जीवन पर प्रकाश डालते हुए उनके योगदान को भी सराहा है। भारत ने विश्व को न संप्रदाय दिया है न सांप्रदायिकता प्रदान की है। देश के ऋषियों और मुनियों ने विश्व को आध्यात्मिकता ही दी है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि जैन संतों और समाज सुधारकों ने अपनी पुस्तकों के माध्यम से ब्रह्मांड की अवधारणाओं और तत्वों को लेकर अपने विचार भी जाहिर किए हैं।
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