केंद्र और राज्यों को मिलकर काम करना चाहिए: प्रधानमंत्री


नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज कहा कि उनकी सरकार देश के विकास के लिए राज्यों को भी साथ लेकर चल रही है और भारत अकेले दिल्ली ही नहीं बल्कि सभी राज्यों के ‘‘मजबूत कंधों’’ की मदद से आगे बढ़ सकता है. मोदी ने यहां हिंदुस्तान टाइम्स लीडरशिप सम्मेलन के उद्घाटन के दौरान सभा को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘भारत केवल दिल्ली से प्रगति नहीं करेगा.’’ मोदी ने केंद्र में राज्यों के लिए विशेष विभाग बनाए जाने समेते उन कई कदमों का जिक्र किया जो उनकी सरकार ने राज्यों को साथ लेकर चलने के लिए उठाए हैं.

प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत की प्रगति में राज्यों की सबसे ‘‘महत्वपूर्ण भूमिका’’ है. उन्होंने कहा, ''भारत की प्रगति में राज्यों की सबसे महत्वपूर्ण भूमिका है. भारत अकेले दिल्ली ही नहीं बल्कि केवल राज्यों के मजबूत कंधों के सहारे आगे बढ़ सकता है. यदि हम कंधे से कंधा मिलाकर चलेंगे तो हमें स्वत: की इसके परिणाम मिलने लगेंगे.’’ मोदी ने कहा कि यह महत्वपूर्ण है कि दुनिया हमारे राज्यों और उनकी ताकत के बारे में जाने.

प्रधानमंत्री ने 40 मिनट के अपने भाषण में कहा कि 2014 के लोकसभा चुनावों में उनकी पार्टी को मिला निर्णायक जनादेश देश की प्रगति के लिए महत्वपूर्ण है. उन्होंने कहा, ‘‘स्थायी सरकार होना एक बहुत बड़ी बात है और इसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. खंडित जनादेशों में हमेशा अनिश्चितता की स्थिति बनी रहती है.’’ उन्होंने कहा कि उनकी सरकार के पिछले साल मई में कार्यभार संभालने से पहले सभी जगह ‘‘निराशा’’ का माहौल था.

मोदी ने राज्यों, खासकर पूर्वी क्षेत्र में विकास के लिए उनकी सरकार की ओर से उठाए गए कदमों का जिक्र करते हुए कहा कि केंद्र ने बिहार में रेल इंजनों के निर्माण के दो बड़े संयंत्र लगाने को हाल में मंजूरी दी है. उन्होंने मजाकिया अंदाज में कहा कि यह निर्णय राज्य में विधानसभा चुनाव के बाद लिया गया है. भाजपा को वहां नीतीश कुमार के नेतृत्व वाले महागठबंधन के हाथों करारी हाथ का सामना करना पड़ा था. प्रधानमंत्री ने कहा कि देश में अच्छे विचारों की कोई कमी नहीं है लेकिन सफलता के लिए उनके सही क्रियान्वयन की आवश्यकता है और वह उसी पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं.

उन्होंने 100 शहरों में एलईडी लाइट को प्रोत्साहित करने और सार्वजनिक क्षेत्रों में कार्य संस्कृति को बदलने और लक्षित सब्सिडी देने समेत विकास को आगे बढ़ाने और बचत के लिए सरकार की ओर से की जा रही विभिन्न पहलों का जिक्र किया। प्रधानमंत्री ने इस बात पर दु:ख प्रकट किया कि यदि उन्होंने सार्वजनिक क्षेत्रों में विनिवेश किया होता और सब्सिडी कम की होती तो सुधारवादी कई दिनों तक उनकी प्रशंसा करते और तालियां बजाते लेकिन वे इस बात पर ध्यान नहीं दे रहे कि वह अलग तरीके से चीजें करके समान परिणाम हासिल कर रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘यदि मैं सब्सिडी कम करता हूं तो सुधारवादी कहकर मेरी प्रशंसा की जाएगी लेकिन हम सब्सिडी का लक्षित वितरण करते हैं तो इसे सुधार के तौर नहीं देखा जाता।’’

मोदी ने कहा कि उनकी अपील पर 40 लाख परिवारों ने एलपीजी सिलेंडर पर मिलने वाली सब्सिडी छोड़ दी है और उनकी सरकार ने इससे हुई बचत का उपयोग ज्यादा से ज्यादा गरीब परिवारों को सिलेंडर देने के लिए किया है। उन्होंने एलईडी लाइट को प्रोत्साहित करने के लिए 100 शहरों के साथ केंद्र की ओर से समझौता पत्र पर हस्ताक्षर किए जाने का जिक्र करते हुए कहा कि इससे 21,500 मेगावाट बिजली की बचत होगी। उन्होंने श्रोताओं से कहा, ''यदि मैंने 21,500 मेगावाट की नई विद्युत परियोजना की घोषणा की होती तो यह खबर मीडिया में सुर्खियों में होती। इस कारखाने को लगाने में 1.25 लाख करोड़ रुपए की लागत लगती। मैंने भी वहीं परिणाम हासिल किए हैं लेकिन मेरे इस काम को उतनी तवज्जो नहीं मिली।’’ मोदी ने कहा कि उनकी सरकार ने विद्युत उत्पादन का रिकॉर्ड तोड़ दिया है। वर्षों से लंबित 85 से अधिक बड़ी परियोजनाओं में से 60 से 65 परियोजनाओं पर काम शुरू हो गया है।
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