ट्यूनीशियाई संगठन नेशनल डायलॉग क्वार्टेट को शांति का नोबेल पुरस्‍कार

ओस्लो : ट्यूनीशिया के नेशनल डायलोग क्वाट्रेट को बहुलवादी लोकतंत्र के निर्माण में उनके योगदान के लिए 2015 के नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया है.
अटकलें कई नामों पर लग रही थीं, लेकिन आखिरकार फैसला के ट्यूनीशिया के डायलोग क्वाट्रेट के नाम पर हुआ. ट्यूनीशिया के डायलोग क्वाट्रेट को 2015 के नोबेल शांति पुरस्कार से नवाजा गया.
ट्यूनीशिया के राष्ट्रीय डायलोग क्वाट्रेट को यह सम्मान 2011 की क्रांति के बाद लोकतंत्र के निर्माण के लिए दिया गया है. इस क्रांति के बाद अरब देशों में लोकतांत्रिक आंदोलनों वाले अरब वसंत की शुरुआत हुई थी. नॉर्वे की नोबेल कमिटी के अनुसार यह पुरस्कार 2011 में जासमीन क्रांति के बाद देश में बहुलतावादी लोकतंत्र के निर्माण में मध्यस्थों के निर्णायक योगदान के लिए दिया गया है.

पिछले साल पाकिस्तान की बाल अधिकार संघर्षकर्ता मलाला युसूफजई के साथ नोबेल शांति पुरस्कार जीतने वाले भारत के कैलाश सत्यार्थी ने इस साल के विजेताओं को बधाई दी.

खुद नोबेल शांति पुरस्कार जीत चुके मोहम्मद अल बारादेई ने इस साल पुरस्कार के फैसले का स्वागत करते हुए कहा है कि संवाद, समावेशी नीति, लोकतंत्र और मानवाधिकारों का आदर एकमात्र रास्ता है.

इस साल नोबेल शांति पुरस्कार के लिए जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल का नाम भी चर्चा में था. खासकर सितंबर के शुरू में शरणार्थियों के लिए जर्मनी की सीमा खोलने के उनके फैसले को मानवीय फैसला और शरणार्थी संकट के निबटारे की दिशा में महत्वपूर्ण कदम समझा जा रहा है. पहले भी जर्मनी के दो चांसलरों को नोबेल शांति पुरस्कार दिया जा चुका है.
नोबेल शांति पुरस्कार 1901 से दिया जा रहा है. दूसरे नोबेल पुरस्कारों के विपरीत यह पुरस्कार ऑस्लो में दिया जाता है. इसका अधार नोबेल पुरस्कार के लिए न्यास बनाने वाले अलफ्रेड नोबेल की वसीयत है.
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